Friday, June 11, 2010

आओ, थोड़ा हँस तो लें....2


एक बूढ़ा समाज सुधारक जेल में बंद युवक चोर से बोला-बेटे, तुम किसी बात की चिंता मत करो। जेल से बाहर निकलोगे तो मैं तुम्हारा पथ-प्रदशन करूंगा।
ठीक कहते हैं आप। युवक चोर धीरे से बोला-दरअसल मुझसे $गलती हो गई थी जो आप जैसे बुजुर्गों के पथ-प्रदर्शन के बिना ही इस धन्धे में पड़ गया।


प्रेमिका ने प्रेमी से पूछा-मेरी आँखें हिरणी जैसी हैं?
''हां!''
और मेरे बाल घटाओं जैसे?
''हां!''
और मेरे होंठ गुलाब की पंखुडिय़ों जैसे?
''हां!''
और जब मैं हँसती हंू तो ऐसा लगता है जैसे बहार आ गई हो?
''हां!''
''ओह!'' प्रेमिका गद्गद् होती हुई बोली-तुम कितनी अच्छी बातें करते हो।


एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका से कहा-डार्लिंग, हमें अपनी शादी की बात बिल्कुल गुप्त रखनी चाहिए।
''नहीं।'' प्रेमिका विरोध करती हुई बोली-मैं शीला से अवश्य कहंूगी। वह कहा करती थी कि शायद ही कोई बेवकूफ मुझसे शादी करेगा।

एक सेठ ने अपने मुन्शी को बुलाकर कहा-रामू, तुम्हें हमारी नौकरी करते हुए चालीस वर्ष हो गए हैं।
जी हां।
हम तुम्हारी स्वामीभक्ति से बहुत खुश हैं और तुम्हारे लिए कुछ करना चाहते हैं।
रामू की आँखें चमक उठीं। वह आशावान नज़रों से सेठजी की ओर देखने लगा। तब सेठ ने कहा-इसलिए हमने सोचा है कि आज से तुम्हें रामू न कहकर रामबाबू कहकर पुकारा करेंगे।


एक बहरा, एक लंगड़ा, एक अंधा और एक कंगाल जंगल के बीच से होकर गुजर रहे थे।
अचानक बहरा बोला-मुझे घोड़ों की आवाज़ सुनाई दे रही है।
इस पर अंधा बोला-अरे, वे तो डाकू हैं। मुझे साफ दिखाई दे रहा है।
इस पर लंगड़े ने सुझाव दिया-चलो भाग चलें। सुनकर कंगाल बोला-आप सब भाग जाओगे तो डाकू मुझे लूट लेंगे।

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